भारत के महान अमर शहीद: हेलो दोस्तों आज हम हमारे भारत के महान अमर शहीद के बारे में आपको बता रहे हैं। जैसा की आप सभी जानते हैं कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस को हम सभी मनाते हैं लेकिन यह आज़ादी हमें उन शहीदों की वजह से मिली है जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इसलिए आज हम उन्ही शहीदों के बारे में आपको बता रहे हैं और यह Article उन्हें हमारे “www.latestcarernews.com” Website की तरफ से समर्पित है।
भारत के महान अमर शहीद
हम सभी भारतीय हमेशा गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस को मनाते हैं और उस वक़्त शहीद हुए क्रांतिकारियों को सलामी देते हैं। सेना बंदूकों और तोपों की सलामी देकर, आमजन मौन रहकर और इसीलिए हम Bloggers का भी यह फर्ज है कि हम भी उन्हें लेख लिखकर सलामी दें। “भारत के महान अमर शहीद”
भारत के महान अमर शहीद, सम्बंधित घटना एवं मृत्यु तिथि
खुदीराम बोस फेकने
1908 में सेशन जज किंग्जफोर्ड की गाडी पर बम फेंकने के कारण बेणी रेलवे स्टेशन पर गिरफ़्तार हुए और 11 अगस्त 1908 ई. को उन्हें फांसी दी गयी थी।
अशफाकउल्ला खां
19 अगस्त 1925 ई. को काकोरी डाकगाड़ी केस के अभियोग में बंदी बनाया गया और 18 दिसंबर 1927 ई. को फांसी दी गयी थी।
ऊधम सिंह
13 मार्च 1940 ई. को सर माइकल ओडायर को कैक्स्टन हाल लन्दन में गोली मारने के कारण गिरफ्तार किया गया और 12 जून 1940 ई. को फांसी दे दी गयी।
भगत सिंह
सांडर्स की हत्या के केस तथा 8 अप्रेल 1929 ई. को केंद्रीय विधान सभा में बेम फेंकने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया और सांडर्स की हत्या के केस में मौत की सजा हुई और 23 मार्च 1931 ई. को फांसी पर चढ़कर शहीद हो गए।
सुखदेव
सांडर्स की हत्या के केस में मौत की सजा हुई और 15 अप्रेल 1929 ई. को गिरफ्तार हुए और 23 मार्च 1931 ई. को भगत सिंह के साथ इन्हे भी फांसी दे दी गयी थी।
बटुकेशवर दत्त
भगत सिंह के साथ केंद्रीय असेम्ब्ली में बम फेंकने के आरोप में गिरफतर हुए और इन्हे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी।
चंद्रशेखर आज़ाद
काकोरी डाकगाड़ी केस के मुख्य अभियुक्त तथा अंग्रेजी सरकार ने इन्हें जिन्दा या मुर्दा पकड़ने के लिए तीस हजार रूपए पुरस्कार की घोषणा भी की थी। 23 फरवरी 1931 ई. को एल्फ्रेड पार्क (इलाहबाद) में गोली लगने से इनकी मृत्यु हुई थी।
मास्टर अमीचन्द
दिल्ली षणयंत्र के प्रमुख क्रन्तिकारी अमीचन्द्र फ़रवरी 1914 ई. में वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की हत्या करने के आरोप में बंदी बनाए गए और 08 मई 1915 ई. को चार साथियों के साथ इन्हे फांसी दे दी गयी थी।
अवध बिहारी
दिल्ली षणयंत्र केस एवं लाहौर बम काण्ड के आरोप में फ़रवरी 1914 में इन्हे बंदी बनाया गया और 8 मई 1915 ई. को फांसी दे दी गयी थी।
मदन लाल धींगरा
01 जुलाई 1909 ई. में कर्नल विलियम कर्जन वाइली की हत्या करने के कारण इन्हे गिरफ्तार किया गया था और 18 अप्रेल 1898 ई. को फाँसी के तख्ते पर चढ़ कर शहीद हो गए। इनके भाई बालकृष्ण चापेकर को 12 मई 1899 ई. को फाँसी पर लटका दिया गया था।
राजगुरु
17 दिसंबर 1928 को सॉन्डर्स की हत्या में भाग लेने के कारन 30 दिसंबर 1929 ई. को पूना में एक मोटर गैराज में गिरफ्तार किया गया और 23 मार्च 1931 को केंद्रीय जेल लाहौर में भगत सिंह और सुखदेव के साथ फाँसी दे दी गयी।
वासुदेव बलवंत फड़के
एक सशस्त्र सेना बनाकर ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के कारण 21 जुलाई 1879 को गिरफ्तार हुए और कालापानी की सजा के सिलसिले में अदन में आमरण अनशन करके 17 फ़रवरी 1883 ई. को प्राण त्याग दिया था।
करतार सिंह सराबा
ग़दर पार्टी के सक्रीय कार्यकर्ता तथा लाहौर षणयंत्र के नेता की हैसियत से गिरफ्तार किये गए और 16 नवम्बर 1915 ई. को फाँसी के तख्ते पर शहीद हुए थे।
राजेंद्र लाहिड़ी
दक्षिणेश्वर बम काण्ड तथा काकोरी डाक गाड़ी डकैती काण्ड के सिलसिले में गिरफ्तार हुए 17 दिसम्बर 1927 ई. को गोण्डा की जेल में इन्हे फाँसी दे दी गयी थी।
अनन्त कान्हरे
नासिक के जैक्सन हत्याकाण्ड के प्रमुख अभियुक्त होने के कारन बन्दी बनाए गए 19 अप्रेल 1910 ई. को इन्हे फाँसी दे दी गयी थी।
सुभाषचंद्र बोस
21 अक्टूबर 1943 को सिंगापूर में आज़ाद भारत के अस्थायी सरकार की स्थापना की घोषणा की तथा जापानी सेना की सहायता से अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर अधिकार करते हुए 1944 ई. में भारतीय सिमा के इम्फाल क्षेत्र में प्रवेश किया 18 अगस्त 1945 ई. को वायुयान दुर्घटना में इनकी मृत्यु हो गयी परन्तु इस दुर्घटना को अभी तक प्रमाणित नहीं माना गया है।
विष्णु गणेश पिंगल
23 मार्च 1915 ई. को विस्फोटक बमों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया और 17 नवम्बर 1915 ई. फाँसी दे दी गयी।
बृजकिशोर चक्रवर्ती
मिदनापुर के जिला मजिस्ट्रेट जज पर गोली चलाने के आरोप में 2 सितम्बर 1933 ई. को गिरफ्तार हुए 26 अक्टूबर 1934 ई. को इन्हे फाँसी पर लटकाया गया।
कुसाल कोंवर
9 अक्टूबर 1942 ई. को ब्रिटिश सैनिक गाड़ी को पटरी से उतरने के संदेह में गिरफ्तार हुए 16 जून 1943 ई. को इन्हे फाँसी दे दी गयी।
असित भट्टाचार्य
13 मार्च 1933 ई. को हबीबगंज में हुई डाक डकैती तथा हत्या के अन्य मामलों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया 2 जुलाई 1934 ई. को इन्हे सिलहट जेल में फाँसी दे दी गयी।
जगन्नाथ शिंदे
शोलापुर थाने पर हुए हमले का अभियोग लगाकर इन्हे बन्दी बनाया गया 12 जनवरी 1931 ई. में इन्हे फाँसी दे दी गयी।
हरकिशन
23 दिसम्बर 1930 ई. को पंजाब के गवर्नर पर गोली चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और 9 जून 1931 ई. को इन्हे फाँसी दे दी गयी।
सूर्यसेन
18 अप्रेल 1930 ई. में चटगाँव स्थित ब्रिटिश शस्त्रागार पर आक्रमण में भाग लेने के कारण गिरफ्तार दिया गया 11 जनवरी 1934 ई. को इन्हे फाँसी दे दी गयी।
लाला लाजपत राय
17 नवम्बर 1928 ई. के साइमन कमीशन का विरोध करने पर पुलिस के द्वारा पाश्विक लाठी प्रहार के शिकार हुए लाठी प्रहार के एक महीने बाद उनका देहांत हो गया था। “भारत के महान अमर शहीद“
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